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Friday, 24 November 2017

हिन्दू धर्म और टाइम मशीन का रहस्य क्या है, जानिए........................

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Time मशीन का संबंध गति से है। समय की सीमाएं लांघकर अतीत और भविष्य में पहुंचने की परिकल्पना तो मनुष्य करता रहा है। भारत में ऐसे कई साधु-संत हुए हैं, जो आंख बंद कर अतीत और भविष्य में झांक लेते थे। पौराणिक कथाओं अनुसार देवी-देवता एक ग्रह से दूसरे ग्रह और एक समय से दूसरे समय में चले जाते थे। अब सवाल यह है कि यह काम मशीन से कैसे हो?
इंग्लैंड के मशहूर लेखक हर्बट जार्ज वेल्स ने 1895 में 'द टाइम मशीन' नामक एक उपन्यास प्रकाशित किया, तो समूचे योरप में तहलका मच गया। इस उपन्यास में वेल्स ने 'टाइम मशीन' की अद्भुत कल्पना की। यह उनकी कल्पना का एक ऐसा आविष्कार था, जिसे विश्व भर में विज्ञान लेखक आज तक उपयोग कर रहे हैं। उपन्यास से प्रेरित होकर इस विषय पर और भी कई तरह के कथा साहित्य रचे गए। इस कॉन्सेप्ट पर हॉलीवुड में एक फिल्म भी बनी। हालांकि वेल्स के उपन्यास में व्यावहारिक रूप से कई विसंगतियां है।
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टाइम मशीन अभी एक कल्पना है। टाइम ट्रेवल और टाइम मशीन, यह एक ऐसे उपकरण की कल्पना है जिसमें बैठकर कोई भी मनुष्य भूतकाल या भविष्य के किसी भी समय में सशरीर अपनी पूरी मानसिक और शारीरिक क्षमताओं के साथ जा सकता है। अधिकतर वैज्ञानिक मानते हैं कि यह कल्पना ही रहेगी कभी हकीकत नहीं बन सकती, क्योंकि यह अतार्किक बात है कि कोई कैसे अतीत में या भविष्य में जाकर अतीत या भविष्य के सच को जान कर उसे बदल दे। जैसे कोई भविष्य में से आकर आपसे कहे कि वह आपका पोता है या अतीत में से आकर कहे कि वह आपका परदादा है, जो यह संभव नहीं है।
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वैज्ञानिक कहते हैं कि दरअसल, जो घटना घट चुकी है उसका दृश्य और साउंड ब्रह्मांड में मौजूद जरूर रहेगा। जिस तरह आप एक फिल्म देखते हैं उसी तरह वह टाइम मशीन के द्वारा दिखाई देगा। आप उसमें कुछ भी बदलाव नहीं कर सकते। यदि ऐसा करने गए तो वह पार्टिकल्स बिखरकर और अस्पष्‍ट हो जाएंगे। दूसरा यह कि आप टाइम ट्रैवल से जो घटना नहीं घटी है, लेकिन जो घटने वाली है उसे भी देख सकते हैं, क्योंकि सभी कार्य और कारण की श्रृखंला में बंधे हुए हैं। हालांकि विद्वान यह भी मानते हैं कि भविष्य को जानकर वर्तमान में कुछ सुधारकर भविष्य को बदला जा सकता है, लेकिन अतीत को नहीं।
प्राचीनकाल में सनतकुमार, नारद, अश्‍विन कुमार आदि कई हिन्दू देवता टाइम ट्रैवल करते थे। टाइम मशीन की कल्पना भी भारतीय धर्मग्रंथों से प्रेरित है। आप सोचेंगे कैसे? वेद और पुराणों में ऐसी कई घटनाओं का जिक्र है। उदाहरणार्थ रेवत नाम का एक राजा ब्रह्मा के पास मिलने ब्रह्मलोक गया और जब वह धरती पर पुन: लौटा तो यहां एक चार युग बीत चुके थे। रेवती के पिता रेवत अपनी पुत्री को लेकर ब्रह्मा के पास योग्य वर की तलाश में गए थे। ब्रह्मा के लोक में उस समय हाहा, हूहू नामक दो गंधर्व गान प्रस्तुत कर रहे थे। गान समाप्त होने के उपरांत रेवत ने ब्रह्मा से पूछा अपनी पुत्री के वरों के बारे में। 
ब्रह्मा ने कहा, 'यह गान जो तुम्हें अल्पकालिक लगा, वह चतुर्युग तक चला। जिन वरों की तुम चर्चा कर रहे हो, उनके पुत्र-पौत्र भी अब जीवित नहीं हैं। अब तुम धरती पर जाओ और शेषनाग के साथ इसका पाणिग्रहण कर दो जो वह बलराम के रूप में अवतरित हैं।' अब सवाल यह उठता है कि कोई व्यक्ति चार युग तक कैसे जी सकता है? कुछ ऋषि और मुनि सतयुग में भी थे, त्रेता में भी थे और द्वापर में भी। इसका यह मतलब कि क्या वे टाइम ट्रैवल करके पुन: धरती पर समय समय पर लौट आते थे? Image result for time travelImage result for time travel

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